536 ईस्वी में 18 महीने तक दिन में रात का रहस्य ? इतिहास का सबसे बुरा साल कौन सा है ?


साल 536 ईस्वी को इतिहास का अब तक का सबसे खराब साल माना जाता है। और अंग्रेजी में इसे Dark Ages भी कहा जाता है।

आपको अधिक जानकारी के लिए बता दूं कि, साल 536 ईस्वी में इंसानों के लिए जीना बेहद कठीन हो गया था। इसमें राजा से लेकर रंक तक सभी शामिल थे, कोई भी नही बचा था। अब आपके मन में यह सवाल उत्पन्न हुआ होगा कि आखिरकार साल 536 ईस्वी मे ऐसा हुआ क्या था, की जिसको इतिहासकारो ने इतिहास का सबसे खराब साल मानने लगे थे। इसलिए आइए इसे विस्तार से समझ लेते है।
हुआ यह कि उस साल यूरोप, मिडल ईस्ट और एशिया में जस्टिनियन के कुछ भागों में अचानक दिन में ही अंधकार सा छा गया। हर जगह अंधेरा ही अंधेरा था मानो जैसे की रात हो गई है, आधी से ज्यादा दुनिया में घनघोर अंधेरा फैला हुआ था। अचानक में यह अंधकार कहां से आया था, ये बात किसी को भी नहीं पता क्योंकि उस समय साइंस ने भी इतनी तरक्की नहीं की थी की इस बात का पता लगाया जा सके की ऐसा क्यों हुआ। 

अचानक असमय अंधेरा होने की वजह से दिन और रात एक जैसे हो गए थे। जिसकी वजह से लोगों को सूर्य चांद के समान दिख रहा था। इतना घना अंधेरा था की लोग अपनी परछाई तक को नहीं देख पा रहे थे।


अचानक से अंधेरा छा जाने की वजह से तापमान भी तेजी से नीचे गिर गया जिसके कारण गर्मियों के मौसम में भी कड़ाके की ठंड पड़ने लग गई। और आप मानोगे नही ठंड इतनी ज्यादा बढ़ गई कि गर्मियों के मौसम होने के बावजूद भी बर्फ पढ़ने लगी थी। और ठंड इतनी अधिक थी की  पिछले 2000 साल का रिकॉर्ड भी टूट गया। 
अचानक से मौसम में आए इस बदलाव के कारण किसानों की पूरी की पूरी फसलें तबाह हो गई। और यह सिलसिला कुछ दिन हफ्ते नही बल्कि तकरीबन 18 महीने याने डेढ़ साल तक चला। फैसले खराब हो जाने की वजह खेतों में अनाज का एक दाना तक नहीं उपजा। जिसके कारण भुखमरी आ गई लोग भूख के मारे तड़प तड़प कर धीरे-धीरे मरने लगे।

आखिरकार 18 महीने बाद अंधकार तो छट गया लेकिन समस्या अभी तक हल नहीं हुई थी, बल्कि अंधेरा छट जाने बाद समस्याओं की तो अभी शुरुआत हुई थी। क्यों की इसके कुछ साल बाद 541 ईस्वी में ईस्टर्न रोमन में अचानक प्लेग नामक बिमारी फैल गई थी। जिसके कारण वहां की एक तिहाई से ज्यादा की आबादी खत्म हो गई थी।

दरअसल इस प्लेग की बीमारी के फैलने का मुख्य कारण यह था कि 18 महीने तक अंधेरा होने की वजह से सूरज की किरने लोगों को न मिल पाने की वजह से उनमें विटामिन-D की कमी हो गई, जिस कारण लोगो की शरीर में कमजोरी आने लगी और उनकी रोगप्रतिकारक क्षमता में कमी आ गई जिसकी वजह से इस प्लेग बीमारी ने उनको बहुत जल्द अपने कब्जे में ले लिया और एक के बाद एक वहां के लोगों की मौत होने लगी। 

हालात इतने बद से बद्तर हो गए थे कि जिस प्रकार से  रोज कूड़ा कचरा उठाने वाली गाड़ी आती है, उसी तरह उस समय मृतकों को उठाने वाली गाड़ी आने लगी और वह लोग उन सभी लाशों जलाने की बजाय उनको समुद्र में फेंक दिया करते थे। जिसके कारण समुंद्र का पानी दूषित होने लगा और बिमारी घटने की बजाय और बढ़ने लगी। जिसकी वजह से इस महामारी को जस्टिनियन का प्लेग भी कहा जाने लगा।

उस समय की वह स्थिति इतनी भयवाह थी की जहां देखो हर जगह मौत का मातम पसरा हुआ था। और अब तो लोगों को यह यकीन हो चला था की अब तो दुनिया का अंत निश्चित है। और साल 536 ईस्वी में आई इस त्रासदी की वजह से यूरोप को इससे उबरने में तकरीबन एक सदी से भी अधिक का अरसा लग गया।

आपके मन के सवाल– आखिरकार सन 536 ईस्वी (A.D.) की यह धुंध आई कहां से थी?
इसके बारे में कई खोजे की गई लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पाया था की आखिर यह धुंध आई कहां से थी। यह कोई प्राकृतिक या दैविक आपदा थी या फिर कोई शैतानी प्रकोप था कुछ पता नहीं। 

लेकिन सन 1990 के बाद इस घटना को गंभीरता से लिया गया और वैज्ञानिकों द्वारा किया गए शोध के अनुसार यह पाया गया कि उस समय आइसलैंड में एक विशाल ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था। जिसके कारण आधी से ज्यादा पृथ्वी पर ज्वालामुखी का धुआं और राख वातावरण में मिल गया था। जिसके कारण उस समय यह अंधकार छा गया था।

अंत में निचोड़ यही निकलता है, कि उस समय वहां के लोगो के लिए जिंदगी नर्क के समान थी क्यों की कुछ तो भुखमरी से मारे गए और जो भुखमरी से बच गए थे वह प्लेग जैसी खतरनाक महामारी से मारे गए। इसीलिए इतिहासकारों के अनुसार साल 536 ईस्वी (A.D.) इतिहास का सबसे बुरा साल माना गया है। जिसे आज भी बहुत से लोग Dark Age के नाम से भी जानते हैं।

अंततः उस समय के एक प्रोकोपियस नामक इतिहासकार ने ऐसा तक कह दिया कि सूरज तो सिर्फ चांद बनकर रह गया था। धरती पर धूप का तो कही नामो निशान नहीं था। और यह सब छट जाने के बाद अगर कुछ बचा था तो वो थी इंसानों के मृत शरीर क्यों की महामारी के बाद जहां देखो वही लाशे ही लाशे।
उसके बाद का सबसे खराब साल 2020 है। क्यों की इस समय पूरी दुनिया कोरोना  नामक ( Covid–19 ) खतरनाक महामारी से जूझ रही है।

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