जमीन में दफन एक शापित नगरी: मध्यप्रदेश के देवास जिले में स्थित एक गांव है, जिसका नाम गंधर्वपुरी है, इस कस्बे का इतिहास लगभग 2100 साल पुराना है। उस गांव को शापित गांव क्यों माना जाता है, आईए जानते है। इतिहासकारों का मानना है, की यह गांव प्राचीनकाल में उस समय के राजा गंधर्वसेन के एक शाप से पूरा का पूरा पाषाण में तब्दील हो गया था। उस समय वहां का हर एक व्यक्ति, पशु और पक्षी सभी सभी जानवर उस राजा के शाप से पत्थर के हो गए थे। फिर एक धूलभरी आंधी चली और देखते ही देखते पूरी की पूरी नगरी जमीन में दफन हो गई और देखते ही देखते पूरा गांव कब्रस्तान हो गया।
कहते है, की देवास के सोनकच्छ तालुके में स्थित एक ऐसा गांव है, जो भारत के बौद्धकालीन इतिहास का आज भी गवाह बना हुआ है। और इस गांव का पुराना नाम चंपावती था। चंपावती के पुत्र राजा गंधर्वसेन के नाम पर बाद में इसे बदलकर चंपावती से गंधर्वपुरी रखा गया। आज भी इस गांव का नाम गंधर्वपुरी है। जानकारों को बताने के अनुसार यहां मालव क्षत्रप गंधर्वसेन, जिन्हें गर्धभिल्ल भी कहे जाते थे, और उन्ही गंधर्वसेन के शाप से पूरी की पूरी गंधर्व नगरी पाषाण की हो गई थी।
राजा गंधर्वसेन के बारे में बताते है,की उनके अनेको किस्से प्रचलित हैं, लेकिन इस स्थान से जुड़ी कहानी कुछ अजीबो गरीब और रोचक ही है। कहते हैं, कि गंधर्वसेन ने कुल 4 विवाह किए थे। उनकी पत्नियां चारों वर्णों से थीं। क्षत्राणी से उनके तीन पुत्र हुए थे पहले का नाम सेनापति शंख, दूसरे का नाम राजा विक्रमादित्य तथा तृतीय पुत्र का नाम ऋषि भर्तृहरि था। उस गांव के एक स्थानीय निवासी कमल सोनी बताते हैं, कि यह गंधर्वपुरी बहुत ही प्राचीन नगरी है।
राजकुमार गंधर्वसेन ने शाप क्यों दिया ?
अगर आज भी यहां किसी जगह पर भी खुदाई की जाय तो वहां से कोई ना कोई मूर्ति जरूर निकलती है। जानकार कहते हैं, कि इस नगरी के राजा की पुत्री ने राजा की मर्जी के खिलाफ गंधर्वसेन से विवाह रचाया था। गंधर्वसेन दिन में गधे और रात में गधे की खोल उतारकर राजकुमार बन जाते थे। जब एक दिन उनके पिता यानी राजा को इस बात का पता चला तो, वे क्रोधित होकर रात को ही उस चमत्कारिक गधे के खोल को जलवा दिया, जिससे कारण गंधर्वसेन भी आग में जलने लगे तब जलते-जलते उन्होंने राजा सहित पूरी गंधर्वपुरी नगरी को ही शाप दे दिया और कहा कि जो भी इस नगर में रहते हैं, वे सभी पत्थर के बन जाएं।
गंधर्वसेन गधे क्यों बने और वास्तव में वे कौन थे।
यह एक बहुत बड़ा लंबा किस्सा है। इस बारे में हमने गांव के सरपंच माननीय श्री. विक्रमसिंह चौहान से बात की, तो उन्होंने कहा कि यह सत्य है, और कहा कि वास्तव में इस गांव के नीचे एक प्राचीन नगरी दबी हुई है। यहां पर आज भी हजारों मूर्तियां दबी हुई हैं, इसलिए सन: 1966 में यहां पर एक संग्रहालय का निर्माण किया गया, जहां पर खुदाई के दौरान मिली कुछ खास मूर्तियो को एकत्रित करके उनको संजोकर संग्रहित किया गया है।
उस संग्रहालय का रख रखाव करने वाले श्री. रामप्रसाद कुंडलिया बताते हैं, कि उस खुले संग्रहालय में अभी तक कुल 300 मूर्तियों को संग्रहित किया गया है। और इसके अलावा भी अनेक मूर्तियां राजा गंधर्वसेन के मंदिर में रखी गई हैं। और अनगिनत मूर्तियां पूरे नगरी में यहां वहां बिखरी पड़ी हुई है।
अंततः तो यह थी मध्यप्रदेश के देवास जिले में स्थित गांव गंधर्वपुरी के राजकुमार गंधर्वसेन की अनोखी कहानी। यह कहानी आपको कैसी लगी Comment बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं। और अगर आपके पास भी कुछ ऐसी अनोखी और रोचक कहानियां है, तो मुझे ईमेल के जरिए भेज सकते है।
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