सब कहते है,की धरती घुमती है और यहीं बचपन से ही सुनता भी आ रहा हूं और किताबो में भी यहीं पढ़ा है। तो जैसे हम हवा,भूकंप,आंधी,तूफान,दिन और रात इत्यादी सभी को महसूस कर सकते हैं। तो जब धरती घुमती है,तो उसका आभास हमे क्यों नहीं होता की धरती घूम रही है।
तो इससे शायद आपके कहने का यह अर्थ है, कि हम यह क्यों नहीं महसूस करते हैंं, कि हम सभी एक ऐसे ग्रह पर खड़े हैं, जिसका रेखीय रफ्तार भूमध्य रेखा पर लगभग एक हजार प्रति मिल घंटे का है। हमें यह महसूस न कर पाने का मतलब है, कि हम तेजी से आगे की और बढ़ रहे हैं। और हमारे अलावा बाकी सब कुछ एक हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, आपके पास यह जानने का कोई तरीका नहीं है, कि आप कितनी तेजी से आगे बढ़ रहे है।
क्या आपको इस बात पता है, कि पृथ्वी साल के कुल 365 दिनो में सूरज की एक परिक्रमा करती है, और यह जो परिक्रमा करने की रफ्त्तार होती है, वह लगभग तीस किलोमीटर प्रति सेकंड की होती है, और इस परिक्रमा के समय आप में से बहुत से लोगो के मन मे यह सवाल भी उत्पन्न होता होगा की अगर पृथ्वी पूरे वर्ष के 365 दिन लगातार घूमती है, तो हमारा घर उसी जगह पर क्यों स्थिर रहता है, वह क्यों नहीं पृथ्वी के साथ साथ घूमता।
तो आइए आपको एक उदाहरण के माध्यम से आपके ही सरल भाषा में समझता हूं।
उदाहरण के तौर पर अगर आप यात्रा करते समय किसी ट्रैन में सफर कर रहे है, और उस ट्रेन के चलने की रफ्तार 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटे की है, तो मेरा आपसे सवाल है, की क्या आप उस ट्रैन की चलने की रफ्तार को महसूस कर पाओगे। जवाब है नहीं, क्यों की उसकी स्पीड महसूस करने के लिए जब तक आप खिड़की से बाहर नही झाकोगे तब तक आप उस ट्रैन के चलने की गति को महसूस नही कर सकते हो।
यही उदाहरण पृथ्वी के लिए भी लागू होता है,एक पल के लिए मानकर चलिए की पृथ्वी एक ट्रैन है, और चलती 🚆 ट्रैन के बाहर का वातावरण अंतरिक्ष है, तो जब हम ट्रैन में बैठकर सफर कर रहे होते है, तब तो हम उनकी चलने की रफ्तार को नहीं महसुस कर पाते है, तो उसी तरह हम पृथ्वी द्वारा हो रही परिक्रमा को कैसे महसूस कर पाएंगे।
जिस तरह कोई भी व्यक्ती पृथ्वी के किसी भी एक क्षोर पर खड़ा होकर यह नहीं बतला सकता है,कि हमारी पृथ्वी गोल है, या चौकोन। क्योंकि धरती उस व्यक्ति की तुलना में बहुत विशालकाय है, और अगर देखा जाय तो हमे यह पृथ्वी दिखने में सीधी और सपाट दिखती है,आज तक बहुत से लोगो का यह मानना था कि धरती को सीधी सपाट है, लेकिन आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पहले गणित के महान गणितज्ञ पाइथागोरस जी ने हमे बताया था कि यह सीधी सपाट दिखने वाली पृथ्वी सीधी सपाट नही बल्कि गोल है, तो इन्हें सब वजहों से हम पृथ्वी का घूमना महसूस नहीं कर सकते है।
यह जो हमारी धरती है, वह अपने अक्ष पर घूमती है, जिसे पूरे पृथ्वी के एक चक्कर लगाने में एक दिन यानी 24 घंटे का समय लगता है, धरती ही नही बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड स्थति हर एक चीज अपनी धुरी पर घूम रही है। इसी तरह हम सब को रोशनी देने वाले सूर्य देवता भी अपने अक्ष पर घूमते है, सूर्य को अपने अक्ष में एक पूरा चक्कर लगाने में लगभग कुल 35 दिन लगते है।
यह छोटा सा लेख आपको कैसा लगा नीचे comment बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।..धन्यवाद 🙏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपना किमती समय निकालकर यह आर्टिकल पढ़ने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। 🙏